उदर की पीड़ा का आयुर्वेदिक उपचार







ayurvedic-treatment-abdomen-pain-hindiहमारे शरीर की अपनी एक प्रतिरक्षा प्रणाली हैं, जो इसको बाहरी खतरों से बीमारियो से बचाती हैं। जिसको हमimmune system कहते हैं। मगर हम खुद ही अपने शरीर के दुश्मन बन जाते हैं, जब हम अपने इस अमृत रुपी शरीर को गंदगी से भर देते हैं। जैसे fast foodcold drinksteacoffey, मैदे से बानी हुयी वस्तुए, शराब, मांस, मछली, धूम्रपान, ये सब बुरी आदते हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। अधिक तला हुआ, मसाले वाला, या अधिक पित्त प्रकृति का भोजन करने से इस रोग की उत्पत्ति होती हैं। ये तम्बाकू, शराब, और कैफीन वाले पदार्थ सेवन करने से जल्दी होता हैं। ऐसे रोगियों को गुस्सा और घृणा नहीं करनी चाहिए, इस से शरीर में बहुत गर्मी पैदा होती हैं। इस में आंते बहुत कमज़ोर हो जाती हैं, इसलिए भोजन जितना चबा चबा कर खा सकते हो उतना चबा कर खाए।

उदर की पीड़ा के अनेक प्रकार होते हैं, जैसे कि gas problem, जलन का एहसास, लंबे समय से चल रही उदर की पीड़ा इत्यादि । कई बार उदर की पीड़ा दूषित खाना खाने से और दूषित पानी पीने से होती है। इसके अलावा उदर की पीड़ा, तपेदिक, पथरी, अंतड़ियों में गतिरोध, संक्रमण, cancer और अन्य रोगों के कारण भी होती है। देखा जाये तो उदर की मांसपेशियों में पीड़ा होती है, लेकिन समझा यह जाता है की पीड़ा उदर में है।












Ulcerative colitis disease  बड़ी आंत का रोग हैं, जिसमे बड़ी आंत में घाव, सूजन, या छाले हो जाते हैं। इन छालो में मवाद भर जाती हैं, मल बहुत चिपचिपा आता हैं और इस से बहुत ही गन्दी बदबू आती हैं। शौच करते समय असहनीय पीड़ा होती हैं, कुछ भी खाते पीते हैं तो दस्त लग जाते हैं












पेट में रह रह कर मरोड़ उठती हैं, शौच में पस और खून आता हैं। इस बीमारी में पेट में इतना असहनीय दर्द होता है कि आदमी बुरी तरह छटपटाने और चीखने-चिल्लाने लगता हैं। रोगी को ऐसा लगता हैं के अब अंतिम समय आ गया है। और इसका सही समय पर इलाज ना होने से ये बीमारी पेट के कैंसर का रूप धारण कर लेती हैं।

पेटदर्द होने पर घरेलू नुस्खे :

पेट में दर्द होना एक आम समस्या है ,जिससे लगभग सभी व्यक्तियों को जीवन में बार बार सामना करना पड़ता है | इनके कई अलग अलग काऱण हो सकते है । पेट में दर्द होना कोई गंभीर रोग अथवा स्थिति नहीं है किंतु दर्द की अधिकता से रोगी बेचैन हो उठता है और तुरंत दर्द से छुटकारा पाना चाहता है |

कारण:

stomach pain का कोई निश्चित कारण नहीं है | यह सामान्य कारणों, जैसे अधिक भोजन करने, वायु बनने, अपच आदि के कारण भी हो सकता है तथा अलसर, कब्ज आदि दीर्घकालिक रोगों के फलस्वरूप भी हो सकता है | अतः बार-बार पेटदर्द होने पर किसी योग्य चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें

लक्षण :

पेट में पीड़ा की लहरें उठना (दर्द होना) इस रोग का प्रमुख लक्षण है |







 उपचार :






सामान्य पेटदर्द की स्थिति में निम्न उपचार करें |

1. हींग का चूर्ण गर्म पानी में मिश्रित कर सेवन करें |

2. पानी में अजवाइन उबालकर छान लें और उसमें काला नमक मिलाकर पीएं | हींग को गरम पानी में घोलकर और मोटे सूती कपड़े को इस घोल में भिगोकर गरम-गरम सेंक देने से पेटदर्द में आराम पहुंचता है |












3. हैजे की प्रारम्भिक स्थिति में भयंकर पेटदर्द होता है | इसके उपचार के लिए प्याज छीलकर कहूकस करें और उससे निकले रस में काला नमक मिलाकर रोगी को पिलाएं | पेटदर्द में तुरन्त आराम मिलेगा |

4. बच्चों को पेटदर्द होने की स्थिति में अजवाइन के काढ़े में एक चम्मच शहद मिलाकर चटाने से तुरंत लाभ होता है | पेट पर हींग की गरम पट्टी का सेंक देने से भी बच्चों के पेटदर्द में लाभ होता है |

5. बाजार में मिलने वाली ‘अमृतधारा’ तथा पुदीन हरा औषधियों से पेट सम्बंधी लगभग सभी सामान्य विकार दूर होते हैं | इसकी दो-तीन बूंदें पानी में घोलकर या बताशे में डालकर सेवन करनी चाहिए | इस दवा से हैजे, अतिसार, पतले दस्त, आंव, खट्टी डकारें, अफारा, वायु तथा गैस आदि विकारों में तुरंत आराम पहुंचता है |

‘अमृतधारा’ स्वयं तैयार करें :

घर पर ‘अमृतधारा’ तैयार करने के लिए समान मात्रा में कपूर, पोदीने का सत, पिपरमिंट और अजवाइन का सत एक छोटी शीशी में भरकर 15-20 मिनट तक उसे हिलाएं | आवश्यकता पड़ने पर इसकी तीन-चार बूंदें पानी या बताशे में डालकर सेवन करें | यदि फौरन आराम न मिले तो आधे घंटे बाद दोबारा प्रयोग करें |

आहार और खान पान :

उदर की पीड़ा के दिनों में ऐसे खान पान का सेवन करना चाहिए जो आसानी से पचाया जा सके। चावल, दही या छाँछ (मट्ठा) , खिचड़ी, वगैरह का सेवन बहुत लाभकारी होता है। सब्ज़ियों के सूप, और फलों के रस और अंगूर, पपीता , संतरे जैसे फलों के सेवन से भी उदर की पीड़ा कम हो जाती है।

तले हुए और मसालेदार खान पान का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। खाना खाने के बाद रोगी को किसी भी प्रकार की गतविधि में शामिल नहीं होना चाहिए। रोगी को चिंता, तनाव, क्रोध को त्याग देना चाहिए और तनावमुक्त होकर रहना चाहिए।

निम्बू पानी का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें। शराब का सेवन कम से कम करें या बिल्कुल न करें। जब तक पेट दर्द पूरी तरह से ठीक न हो जाये तब तक शराब का सेवन एकदम से बंद कर दें।











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