म्हारे घर होता जाज्यो

म्हारे घर होता जाज्यो/म्हारे-घर-होता-जाज्यो


म्हारे घर होता जाज्यो राज।

अबके जिन टाला दे जा सिर पर राखूं बिराज॥

म्हे तो जनम जनमकी दासी थे म्हांका सिरताज।

पावणड़ा म्हांके भलां ही पधार। ह्‌या सब ही सुघारण काज॥

म्हे तो बुरी छां थांके भली छै घणेरी तुम हो एक रसराज।

थांने हम सब ही की चिंता| तुम सबके हो गरीब निवाज॥

सबके मुकुट-सिरोमणि सिर पर मानो पुन्य की पाज।

मीराके प्रभु गिरधर नागर बांह गहे की लाज॥

Post a Comment

0 Comments