राजस्थान का रणकपुर जैन मंदिर, जैन धर्म के पांच प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। रणकपुर का जैन मंदिर खूबसूरत नक्काशी और अपनी प्राचीनता के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यह जैन तीर्थंकर आदिनाथ जी को समर्पित है। इसकी गणना भारत के सबसे विशाल और खूबसूरत जैन मंदिरों में होती है।
रणकपुर का जैन मंदिर का इतिहास :
इस मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में राणा कुंभा के शासनकाल में हुआ था। इन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम रणकपुर पड़ा। रणकपुर में एक चतुर्मुखी जैन मंदिर है, जो भगवान ऋषभदेव को समर्पित है। इसके अलावा संगमरमर के टुकड़े पर भगवान ऋषभदेव के पद चिह्न भी हैं, जो भगवान ऋषभदेव तथा शत्रुंजय की शिक्षाओं की याद दिलाते हैं। माना जाता है कि 1446 विक्रम संवत में इस मंदिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ हुआ था जो 50 वर्षों से अधिक समय तक चला।इसके निर्माण में करीब 99 लाख रुपए का खर्च आया था। मंदिर में चार प्रवेश द्वार हैं, मुख्य गृह में तीर्थंकर आदिनाथ की संगमरमर की चार विशाल मूर्तियां हैं। करीब 72 इंच ऊंची ये मूर्तियां चार अलग-अलग दिशाओं की ओर उन्मुख हैं।
रणकपुर जैन मंदिर की मान्यता :
मंदिर की मान्यता है कि मंदिर में प्रवेश करने से मनुष्य जीवन-मृत्यु की 84 योनियों से मुक्ति प्राप्त करके मोक्ष की प्राप्ति कर लेता है।
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