कान्हा रे तू तो मुझको जाने तू तो सब कुछ जाने

kanha re tu to mujhko jane tu to sab kuch jane कान्हा रे तू तो मुझको जाने तू तो सब कुछ जाने


कान्हा रे
तू तो मुझको जाने

तू तो सब कुछ जाने

मैं तो नाचूंगी

मैं तो गाऊँगी

तेरी मुरली की धुन सुन नाचूंगी

तेरी मुरली की धुन सुन गाऊँगी

मैं तो नाचूंगी

तन और मन के भक्ति योग से

मैं बनी संवरिया

तन और मन के कर्म योग से

मैं बनी बंसुरिया

कान्हा रे

तू चाहे तो बजा ले

कान्हा रे

तू चाहे तो नचा ले

जब से श्यामा श्याम बसे है

मन मंदिर में मधु के

तब से तन बन गयी मुरलिया

श्याम श्याम ही बोले

कान्हा रे

अपने सुर में मिला ले

कान्हा रे

अपनी मुरलिया बना ले

अब तो तन बन गयी मुरलिया

श्याम श्याम ही बोले

सात सुरों के संगम से श्याम

जैसा चाहे बजाले

कान्हा रे

सुर में मोहे डुबा ले

कान्हा रे

मधु मुरलिया बना ले

मैं तो नाचूंगी

मैं तो गाऊँगी

तेरी मुरली की धुन सुन नाचूंगी

तेरी मुरली की धुन सुन गाऊँगी

मैं तो नाचूंगी

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