What do you know about the carier and achievements of the Indo-Greek ruler Demetrious? Discuss the Influence of Greeks in Indian Culture.

What do you know about the carier and achievements of the Indo-Greek ruler Demetrious? Discuss the Influence of Greeks in Indian Culture.
अथवा भारत में हिन्द यवन शासन के प्रभावों की विवेचना कीजिए। Critically discuss the consequences of Indo-Greek ruler in India.
उत्तर - शृंग-सातवाहन काल में भारत में सुदृढ़ केन्द्रीय शासन का अभाव रहा, इस कमजोरी का लाभ उठाकर ही विदेशी शक्तियों ने भारत पर आक्रमण कर दिये । इन आक्रमणकारियों में इण्डो-ग्रीक मुख्य थे, जहाँ तक आक्रमण के परिणाम का प्रश्न है, इन शक्तियों ने अपनी सुदृढ़ सैनिक शक्ति से भारत पर विजय प्राप्त कर लम्बे समय तक भारत के विस्तृत क्षेत्र पर अपना शासन किया। लेकिन सांस्कृतिक दृष्टि से वे अधिक समय तक अपना स्वतंत्र अस्तित्व नहीं रख सके। कुछ समय के पश्चात् वह भारतीय समाज में घुल मिल गये। लेकिन भारत भी उनके सम्पर्क में अपनी स्वतंत्र पहचान नहीं रख सका। इन आक्रमणकारी देशों को यहाँ के साहित्य, धर्म, कला आदि पर कुछ न कुछ प्रभाव जरूर पड़ा।
| इण्डो-ग्रीक राज्य - मौर्य कालीन सम्राटों के समय से ही भारत की उत्तरी-पश्चिमी सीमा पर यूनानियों की बस्तियाँ स्थापित हो गयी थी। इन लोगों को इण्डो-ग्रीक (Indo-Greeks) के नाम से जाना जाता था । बलख नाम से पुकारे जाने वाला क्षेत्र हिन्दूकुश पर्वत के पार उत्तरी अफगानिस्तान में था। इस क्षेत्र को बैक्ट्रिया भी कहते थे। अनेक यूनानी लेखकों ने इस प्रदेश की भौगोलिक स्थिति की काफी प्रशंसा की है। प्रथम बार ईरानी सम्राट दारा ने इस पर अधिकार कर अपने साम्राज्य में मिला लिया। इससे पूर्व यहाँ कबीले रहते थे। इस के पश्चात् जब यूनानी सम्राट सिकन्दर ने 37 ई.पू. में ईरान पर आक्रमण किया तथा ईरानी सम्राट दारा से इस प्रदेश को छीनकर अपने अधीन कर लिया। यहाँ की शासन व्यवस्था में कोई परिर्वतन नहीं किया। लेकिन अधिक संख्या में यहाँ यूनानी लोगों को बसा दिया गया । 323 ई.पू. में सिकन्दर की मृत्यु के पश्चात् यह प्रदेश उसके सेनापति सेल्यूकस निकेटार के अधिकार में आ गया । मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त के समय सेल्यूकस ने अपने साहस का परिचय देते हुए आक्रमण किया, लेकिन पराजित हुआ। और इसके पश्चात् यूनानी सम्राटों ने मौर्य शासकों से मधुर सम्बंध बनाने आरम्भ कर दिये । लेकिन मौर्य सम्राट अशोक की मृत्यु उपरान्त मगध जैसा शक्तिशाली साम्राज्य अयोग्य उत्तराधिकारियों के कारण छिन्न-भिन्न हो गया । और अवसर का लाभ उठाकर यूनानियों ने भारत पर फिर से आक्रमण किया। यह आक्रमण मध्य एशिया के यूनानी शासकों ने किया, सीरियाई सम्राटों ने नहीं । | सेल्यूकस का बैक्ट्रिया पर अधिकार था तथा इसके पड़ोस में ही कुछ भाग सिकन्दर के दूसरे सेनापति एण्टीगोनस को भी बटवारे में मिला । कुछ समय पश्चात् साम्राज्य विस्तार की महत्त्वाकाँक्षा से दोनों एक-दूसरे के कट्टर प्रतिद्वन्द्वी बन गये । सेल्यूकस ने उस पर आक्रमण किया। और उसे परास्त कर सेल्यूकस इस पूरे क्षेत्र का सम्राट बन गया। सेल्यूकस ने इस विजित प्रदेश पर अपने पुत्र एण्टिओकस प्रथम को सामन्त बना दिया। और कुछ समय के पश्चात् वह उस प्रदेश का स्वतंत्र शासक बन गया।
266 ई.पू. में एण्टिओकस प्रथम के पुत्र एण्टिओकस द्वितीय ने अपने पिता के साथ शासन कार्य में मदद की । और वह कुछ समय बाद स्वतंत्र रूप से शासन करने लगा। यह मौर्य सम्राट अशोक का समकालीन था । इसके शासन में जनता ने विद्रोह किया और विद्रोह सफल होने पर सीरिया से यूनानी शासन का अन्त कर दिया। इस विद्रोह की सफलता से बैक्ट्रिया में भी डायोडोट्स प्रथम के नेतृत्व में क्रान्ति का श्रीगणेश हुआ। और बैक्ट्रिया में विद्रोह का नेतृत्व कर उसे यूनानी शासन से मुक्त करा स्वयं वहाँ का शासक बन गया । इसके पश्चात् इसका पुत्र डायोडोट्स द्वितीय बैक्ट्रिया का शासक बना । लेकिन वह कुछ ही वर्ष शासन कर सका और अपने ही एक सम्बंधी यूथीडेमस के हाथों मारा गया । इस तरह यूथोडेमस बैक्ट्रिया का शासक बन गया। यह भी अधिक समय तक शासन नहीं कर पाया। इसी बीच सीरिया के सम्राट एण्टिओकस तृतीय ने उस पर आक्रमण कर दिया। | यूथोडेमस इस आक्रमण का मुकाबला न कर सका । और अपने पुत्र डिमेट्रियस को सीरिया सम्राट एण्टिओकस तृतीय के पास सन्धि प्रस्ताव लेकर भेजा। सीरियाई नरेश डिमेट्रियस की प्रतिभा से प्रसन्न हुआ । और उसने सन्धि प्रस्ताव स्वीकार करने के साथ-साथ अपनी पुत्री का विवाह भी इसी के साथ कर दिया। | बैक्ट्रिया के साथ सन्धि हो जाने के बाद सीरियाई सम्राट एण्टिओकस तृतीय ने भारत की सीमा में साम्राज्य विस्तार की इच्छा से प्रवेश किया। लेकिन एण्टिओकस और भारतीय शासक सुभागसेन के मध्य सन्धि हो जाने पर एण्टिओकस तृतीय अपने राज्य को वापस लौट लिया लेकिन यूथोडेमस भी अपनी विस्तारवादी महत्वाकाँक्षा में अन्धा हो रहा था। वह पंचनद
प्रदेश को अपने साम्राज्य में मिलाना चाहता था । अतः उसने भारत पर आक्रमण कर कंधार | एवं काबुल की घाटी का कुछ भाग सुभागसेन से छीन लिया। इसके पश्चात 190 ई. ए. के लगभग यूथोडेमस की मृत्यु हो गयी । और इसके पश्चात् उसका पुत्र डिमेट्रियस बैक्ट्रिया का शासक बना। । डिमेटियस प्रथम और उसका भारत पर आक्रमण - डिमेट्रियस ने भी अपने पिता की तरह विदेशों पर आक्रमण की नीति अपनाई । वह एक बड़ा कुशल सैनिक नेता था।
डिमेट्रियस वास्तव में प्रथम यूनानी सम्राट था । जिसने सिकन्दर के पश्चात् भारत में अपना साम्राज्य स्थापित किया । डिमेट्रियस के विषय में डॉ. एन. एन. घोष लिखते हैं कि “दिमेत्र या डिमेटियस निश्चित रूप से भारत का सर्वप्रथम यवन विजेता था।” डिमेट्रियस सिकन्दर की विजयों से प्रभावित था। और भारत में जिस कार्य को सिकन्दर करने में असमर्थ रहा वह उस काम को पूरा करना चाहता था। इसी इच्छा शक्ति को संजोये हुए डिमेट्रियस ने भारत पर आक्रमण किया और पंजाब के एक विस्तृत भाग पर अपना अधिकार कर लिया। गार्गी संहिता के अनुसार डिमेट्रियस ने केवल पंजाब पर ही विजय प्राप्त नहीं की बल्कि उसकी एक सेना शाकल, मथुरा, पांचाल, साकेत आदि को विजित करती हुई पाटलिपुत्र तक जा पहुँची और दूसरी सेना ने अवन्ति चित्तौड़ एवं विदिशा को जीता और मथुरा पहुंची।
डिमेट्रियस की भारत विजय का विस्तार कहाँ तक था। इस बारे में इतिहासकारों में मत भेद है। एक मत के अनुसार डिमेट्रियस ने अपना शासन शाकल तक स्थापित कर लिया
और वहाँ अपने पिता की यादगार में यूथीमिडिया नगर बसाया। सिद्धान्त कौमुदी के अनुसार डिमेट्रियस का बसाया नगर दत्तामित्र सौवीर में था । द्वितीय मत के इतिहासकार डिमेट्रियस को मध्य प्रदेश की विजय का श्रेय देते हैं। भारत पर आक्रमण का श्रेय प्रसिद्ध इतिहासकार स्ट्रेवो डिमेट्रियस और मेनाण्डर दोनों को देता है।

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