नवरात्री के सातवे दिन करे माँ काली की पूजा

नवरात्री के सातवे दिन करे माँ काली की पूजा


मां का स्वरूप :

मां कालरात्रि का शरीर घने अंधकार की तरह एकदम काला है। बाल बिखरे हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड के सदृश गोल हैं। इनसे विद्युत के समान चमकीली किरणें निःसृत होती रहती हैं। मां की नासिका के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं। इनका वाहन गर्दभ (गधा) है। ये ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं। दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में कटार है।

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देवो के देव महाकाल की काली, काली से अभिप्राय समय अथवा काल से है. काल वह होता है जो सब कुछ अपने में निगल जाता है. व काली भयानक एवं विकराल रूप वाले श्मशान की देवी. ved में बताया गया है की समय ही आत्मा होती है तथा आत्मा को ही समय कहा जाता है. माता काली की उत्तपति धर्म की रक्षा हेतु हुई व पापियों के सर्वनाश के करने के लिए हुई है. काली माता 10 महाविद्याओ में से एक है तथा उन्हें देवी दुर्गा की महामाया कहा गया है.

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कलियुग में तीन देवता है जागृत :

कलियुग में तीन देवता को जागृत बताया गया है lord hanuman , माँ काली एवं काल भैरव . माता काली का अस्त्र तलवार तथा त्रिशूल है व माता का वार शक्रवार है. माता काली का दिन अमावश्या कहलाता है,

माता काली के चार रूप है 1 . दक्षिण काली 2 . श्मशान काली 3 . मातृ काली 4 . महाकाली. माता काली की उपासना जीवन में सुख, शान्ति, शक्ति तथा विद्या देने वाली बताई गई है.
माता काली के दरबार की विशेषता :

हमारे hindu dharm में बताया है की कलयुग में सबसे ज्यादा जगृत देवी माँ काली होगी. माँ कालिका की पूजा बंगाल एवं असम में बहुत ही भव्यता एवं धूमधाम के साथ मनाई जाती है. माता काली के दरबार में जब कोई उनका भक्त एक बार चला जाता है तो हमेशा के लिए वहां उसका नाम एवं पता दर्ज हो जाता है.माता के दारबार में यदि दान मिलता है तो दण्ड भी प्राप्त होता है.

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यदि माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है तो माता को रुष्ट करने श्राप भी भुगतना पड़ता है. यदि आप माता काली के दरबार में जो भी वादा पूर्ण करने आये है उसे अवश्य पूर्ण करें. यदि आप अपने मनोकामना पूर्ति के बदले माता को कोई वचन पूर्ण करने के लिए कहते है तो उसे अवश्य पूर्ण करें अन्यथा माता रुष्ट हो जाती है.

जो एकनिष्ठ, सत्यावादी तथा अपने वचन का पका होगा माता उसकी मनोकामना भी अवश्य पूर्ण करती है.

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जीवन रक्षक माँ काली :

माता काली की साधना अथवा पूजा करने वाले भक्त को माँ काली सभी तरह से निर्भीक एवं सुखी बना देती है. माँ काली के भक्त पर किसी तरह का संकट नहीं आता. माँ काली अपने भक्तो सभी तरह के परेशानी से बचाती है

* लम्बे समय से चली आ रही बिमारी माता के आशीर्वाद से सही हो जाती है.

* माता काली के भक्तो पर जादू टोना एवं टोटके आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता.

* माता काली की पूजा में इतनी ताकत होती है की इसके प्रभाव से सही न होने वाली बिमारी भी दूर हो जाती है.

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पूजन विधि :

कंडे (गाय के गोबर के उपले) जलाकर उसमें घी, हवन सामग्री, बताशा, लौंग का जोड़ा, पान, सुपारी, कपूर, गूगल, इलायची, किसमिस, कमलगट्टा अर्पित करें। नवरात्र के सातवें दिन हवन में मां कालरात्रि की इन मंत्रों के उच्‍चारण के साथ पूजा करें।

सातवें दिन हवन में मां कालरात्रि के इस मंत्र का उच्‍चारण करें –

ऐं ह्लीं क्‍लीं कालरात्र्यै नम:।।

मां काली का एक नाम शुभंकरी भी है

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नवरात्र का सातवें दिन मां काली की पूजा की जाती है। यह रूप भी मां दुर्गा का अवतार है। मां काली मृत्यु की देवी भी मानी जाती हैं। वह अंधकार को नष्ट कर प्रकाश प्रज्वलित करती हैं। मां काली के पास दिव्य शक्तियां है, जिनसे उन्होंने बुराई का सर्वनाश कर अच्छाई का प्रसार किया था। मां काली हमेशा स्वच्छता पसंद करती हैं। मां का यह स्वरूप हमें यह शिक्षा देता है कि दुख, दर्द, क्षय, विनाश और मौत अपरिहार्य हैं, इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। वे हमेशा सत्य की राह पर चलते हुए जीवन जीने की बात कहती हैं। इसलिए हमें मां काली के आदर्शों पर चलकर जीवन जीना चाहिए।

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माँ कालरात्रि की पूजा

* hindu religion के अनुसार माँ कालरात्रि की पूजा करने के लिए सबसेशुभ समयमध्य रात्रि का माना जाता हैं तथा इसलिए नवरात्रे की रात को कालरात्रि भी कहा जाता हैं.

* नवरात्रे की पूजा शुरू करने के लिए माँ कालरात्रि केपरिवार के सदस्यों को, नवग्रहों को, दशदिक्पाल को प्रार्थना कर आमंत्रित कर लें.

* देवी की पूजा करने से पहले इन सभी की पूजा करें तथा उनके बाद कालरात्रि की पूजा करें.

* अब माँ कालरात्रि के समक्ष एक कलश में पानी भरकर रख दें.

* अब कलश की पूजा करें तथा इसके बाद फूल, गंध, अक्षत से माँ की पूजा करें और उन्हें भोग लगायें.

* इसके बाद निम्नलिखित मन्त्रका जाप करें.

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एक वेधी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।
वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी।।  

इस विधि के द्वारा माँ की पूजा करने से माँ अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. नवरात्रे के सातवें दिन पूर्ण श्रद्धा से पूजा करने पर माँ के भक्तों को किसी भूत, प्रेत या बुरी शक्ति का भय नहीं सताता.

Maa Kaalratri Mantra | माँ कालरात्रि के मंत्र


ॐ नमो काली कंकाली महाकाली मुख सुन्दर जिह्वा वाली,
चार वीर भैरों चौरासी, चार बत्ती पूजूं पान ए मिठाई,
अब बोलो काली की दुहाई.

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इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जप से भक्त की आर्थिक स्थिति में सुधार आता है तथा कर्ज आदि से छुटकारा प्राप्त होता है
ध्यान मंत्र:

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

अर्थात: मां दुर्गा के सातवें स्वरूप का नाम कालरात्रि है। इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र गोल हैं। इनकी नाक से अग्रि की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं। इनका वाहन गधा है।

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महत्व:

मां कालरात्रि की आराधना के समय भक्त को अपने मन को भानु चक्र जो ललाट अर्थात सिर के मध्य स्थित करना चाहिए। इस आराधना के फलस्वरूप भानुचक्र की शक्तियां जागृत होती हैं। मां कालरात्रि की भक्ति से हमारे मन का हर प्रकार का भय नष्ट होता है। जीवन की हर समस्या को पलभर में हल करने की शक्ति प्राप्त होती है। शत्रुओं का नाश करने वाली मां कालरात्रि अपने भक्तों को हर परिस्थिति में विजय दिलाती है।
मां की महिमा:

कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम असुरी शक्तियां उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं। इसलिए दानव, दैत्य, राक्षस और भूत-प्रेत उनके स्मरण से ही भाग जाते हैं। यह ग्रह बाधाओं को भी दूर करती हैं और अग्नि, जल, जंतु, शत्रु और रात्रि भय दूर हो जाते हैं।

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श्रीमहाकाली साधना के प्रयोग से लाभ :

महाकाली साधना करने वाले जातक को निम्न लाभ स्वत: प्राप्त होते हैं-

(1)    जिस प्रकार अग्नि के संपर्क में आने के पश्चात् पतंगा भस्म हो जाता है, उसी प्रकार काली देवी के संपर्क में आने के उपरांत साधक के समस्त राग, द्वेष, विघ्न आदि भस्म हो जाते हैं।

(2)    श्री महाकाली स्तोत्र एवं मंत्र को धारण करने वाले धारक की वाणी में विशिष्ट ओजस्व व्याप्त हो जाने के कारणवश गद्य-पद्यादि पर उसका पूर्व आधिपत्य हो जाता है।

(3)    महाकाली साधक के व्यक्तित्व में विशिष्ट तेजस्विता व्याप्त होने के कारण उसके प्रतिद्वंद्वी उसे देखते ही पराजित हो जाते हैं।

(4)    काली साधना से सहज ही सभी सिद्धियां प्राप्त हो जाती है।

(5)    काली का स्नेह अपने साधकों पर सदैव ही अपार रहता है। तथा काली देवी कल्याणमयी भी है।

(6)    जो जातक इस साधना को संपूर्ण श्रद्धा व भक्तिभाव पूर्वक करता है वह निश्चित ही चारों वर्गों में स्वामित्व की प्राप्ति करता है व माँ का सामीप्य भी प्राप्त करता है।

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(7)    साधक को माँ काली असीम आशीष के अतिरिक्त, श्री सुख-सम्पन्नता, वैभव व श्रेष्ठता का भी वरदान प्रदान करती है। साधक का घर कुबेरसंज्ञत अक्षय भंडार बन जाता है।

(8)    काली का उपासक समस्त रोगादि विकारों से अल्पायु आदि से मुक्त हो कर स्वस्थ दीर्घायु जीवन व्यतीत करता है।

(9)    काली अपने उपासक को चारों दुर्लभ पुरुषार्थ, महापाप को नष्ट करने की शक्ति, सनातन धर्मी व समस्त भोग प्रदान करती है।

समस्त सिद्धियों की प्राप्ति हेतु सर्वप्रथम गुरु द्वारा दीक्षा अवश्य प्राप्त करें, चूंकि अनंतकाल से गुरु ही सही दिशा दिखाता है एवं शास्त्रों में भी गुरु का एक विशेष स्थान है।

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