नवरात्रि 2017: जानिए, किसने की शारदीय नवरात्रि की शुरुआत और कैसे की थी पहली बार पूजा






नवरात्रि साल में दो बार मनाई जाती है। एक चैत्र माह में जिसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है और दूसरा अश्विन मास में, जिसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं। माना जाता है कि शारदीय नवरात्रि की शुरुआत भगवान राम ने की थी।

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भगवान राम ने सबसे पहले समुद्र के किनारे शारदीय नवरात्रों की पूजा की शुरुआत की थी। श्री राम ने लगातार 9 दिनों तक शक्त‍ि की देवी दुर्गा की पूजा की थी। जिसके बाद माता दुर्गा ने श्री राम को शक्ति का वरदान दी थी। तब जाकर उन्होंने लंका पर जीत हासिल की थी।

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यही कारण है कि शारदीय नवरात्रों में नौ दिनों तक दुर्गा मां की पूजा के बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है। माना जाता है कि अधर्म की धर्म पर जीत, असत्‍य की सत्‍य पर जीत के लिए दसवें दिन दशहरा मनाते हैं।

कब-कब होगी किस देवी की पूजा



  • प्रथम नवरात्रि 21 सितंबर को प्रथम दिन शैलपुत्री की पूजा होगी।

  • 22 सितंबर को नवरात्रि का दूसरा दिन है। इस दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी।

  • 23 सितंबर को नवरात्रि का तीसरा दिन है।  और इस दिन माता चन्द्रघंटा की पूजा होगी।

  • नवरात्रि का चौथा दिन 24 सितंबर को है और इस दिन माता कुष्मांडाँ की पूजा होगी।

  • 25 सितंबर को नवरात्रि का पांचवा दिन है और इस दिन माता स्कंदमाता की पूजा होगी।

  • 26 सितंबर को नवरात्रि का छठा दिन है और इस दिन माता कात्यायनी की पूजा होगी।

  • सपत्मी मतलब नवरात्रि का सातवा दिन 27 सितंबर को है।  इस सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा होगी।

  • अष्ठमी अर्थात नवरात्रि का अठवा  दिन 28 सितंबर को है। इस आठवें दिन माता महागौरी की पूजा होगी।

  • नवमी अर्थात नवरात्रि का नौवा दिन 29 सितंबर को को है।  इस नौवें दिन माता सिद्धिदात्रि की पूजा होगी।


कलश स्थापना शुभ मुहूर्त-


कलश स्थापना के लिए सबसे पहले जौ को फर्श पर डालें, उसके बाद उस जौ पर कलश को स्थापित करें। फिर उस कलश पर स्वास्तिक बनाएं उसके बाद कलश पर मौली बांधें और उसमें जल भरें। कलश में अक्षत, साबुत सुपारी, फूल, पंचरत्न और सिक्का डालें।





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