विष्णु | भगवान विष्णु | नारायण

शिव पुराण में भगवान विष्णु के विषय में सर्वविदित तथ्य दिए गए हैं। रुद्रसंहिता के अनुसार जब जगत में कोई नहीं था तब शक्ति और शिव ने सृष्टि-संचालन की इच्छा जाहिर की। वह एक ऐसी शक्ति चाहते थे जो उनकी शक्तियों के साथ संसार को चलाए। ऐसी मनोकामना के साथ शक्ति ने शिवजी के एक अंग पर अमृत मल दिया और वहां से एक पुरुष प्रकट हुए। यही पुरुष Lord Vishnu थे।

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भगवान विष्णु कर्म और फल के प्रतीक भगवान माने जाते हैं। यही कारण है कि भगवान विष्णु तथा लक्ष्मी के अनेक अवतार समय समय पर हुए है। ब्रह्मा संसार के रचियता तो भगवार शिव संहारक और उद्धारकर्ता कहे गये हैं और भगवान नारायण को पालनहार माना गया है। ब्रह्मा और शिव का कोई अवतार नहीं होता जबकि भगवान नारायण अवतार लेकर अपनी सक्रियता से भक्तों की रक्षा करते है-यह आम धारण हमारे देश के धर्मभीरु लोगों की रही है।  ऐसे में वह संसार में सक्रियतापूर्ण जीवन जीने वालों के प्रेरक भी है।
विष्णु जी का रूप

विष्णु जी की कांति इन्द्रनील मणि के समान श्याम है। अपने व्यापक स्वरूप के कारण ही उन्हें शिवजी से विष्णु नाम मिला। विष्णु जीके एक हाथ में शंख हैं जो ‘ॐ” के की भव्यता का प्रतीक है  तथा अन्य हाथ में चक्र जो समय का प्रतीक है तथा पदम(कमल) उनके होने का प्रतीक है एवं गदा प्रतीक है ताकत का |
विष्णु जी की पत्नी देवी लक्ष्मी

पुराणों में बताया गया है कि श्री हरि माता लक्ष्मी के साथ क्षीरसागर में विराजमान हैं। इनकी शैय्या शेषनाग है जिसके फन पर यह संसार टिका है।

विष्णुप्रिया : Devi laxmi
भगवान विष्णु का मंत्र  

विष्णु भक्तों के लिए अष्टाक्षर “ऊँ नमो नारायणाय” मंत्र को श्रेष्ठ माना गया है।

जाने मंत्र-श्लोक-स्तुति, हिंदी अर्थ सहित : Mantra- Shlok-Stuti
भगवान विष्णु के अवतार

भगवान विष्णु के दस अहम अवतार बताए गए हैं जिनमें से प्रमुख हैं परशुराम, वराह, राम और श्री कृष्ण।

पुराणों में भगवन विष्णु में के अवतार : Puran in hindi
भगवान विष्णु से जुड़ी अहम बातें

* भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ देव को माना जाता है।

* विष्णु जी का अस्त्र सुदर्शन चक्र है।

* श्री राम भगवान विष्णु के मर्यादापुरुषोत्तम अवतार थे।

* श्री कृष्ण को विष्णु जी का पूर्णावतार माना जाता है।

* गणेश जी भगवान हरि के प्रिय हैं |

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