वास्तु शास्त्र के सभी तरह के समाधान


वास्तु शास्त्र के सभी तरह के समाधान


[caption id="attachment_5151" align="aligncenter" width="240"]sampurn-vastu-shastra sampurn-vastu-shastra[/caption]

इस सम्पूर्ण संसार में हर व्यक्ति यही चाहता है कि वह जीवन में हर तरह से सभी क्षेत्र में  सफलता प्राप्त करें । उसे धन,ताकत , यश, ऐश्वर्य, प्रसन्नता, अच्छा परिवार, अच्छा स्वास्थ्य सभी कुछ प्राप्त हो, इन सभी को प्राप्त करने के  लिए वह दिन रात मेहनत भी करता हैं और सदैव प्रयत्नशील भी  रहता है लेकिन फिर  भी वह इन  सभी सुख सुविधाओं से वंचित रह जाता हैं ।  तोड़ मेहनत के बाद भी यदि ब्यक्ति को सफलता नहीं मिलती है उसके  जीवन में अस्थिरता बनी  रहती  है या कोई ना कोई परेशानी लगी ही रहती है तो व्यक्ति निराशा में  डूबने लगता हैं |

यहाँ मैं आप सभी को यह बताना चाहूँगा की इसका  कारण उसके घर और कार्यालय स्थल का वास्तु दोष भी  हो सकता है ।जिस जगह हम अपने जीवन का अधिकांशऔर  महत्वपूर्ण समय बिताते है अगर उस जगह  में दोष है तो हम कितना भी मेहनत और अच्छे कार्य कर ले किन्तु हमें उसका श्रेष्ठ परिणाम नहीं  मिल पता हैं ।

पहलेके  समय में  एक भवन की आयु न्यूनतम 100 वर्ष मानी जाती थी । भवन के मालिक  के पुत्र पौत्र आदि मिलकर उस भवन में  लम्बे समय तक रहते   थे , उस भवन के साथ  लोगो की बहुत सी यादें जुड़ी रहती  थी और कोई भी व्यक्ति चाहे वह  कितने  भी संकट में क्यों ना पड़ा  हो वह उस भवन को  बेचने के बारे में सोचता भी नहीं था परन्तु यह बहुत ही खेद का विषय है कि आज वास्तु / ज्योतिष के अनुसार भवन की आयु घट कर लगभग 40 वर्ष ही रह गयी है ।
आज आपके बनाये हुए भवन में आपका पुत्र तो शायद आपके साथ रहे ले  किन्तु  आपके पौत्र पौत्रियां बड़े होते ही अपना नया ठिकाना ढूंढने लगते है उनकी भावनाएँ आपके बनाये हुए भवन के साथ जुड़ नहीं पाती है और यदि कोई भी आर्थिक संकट आया नहीं या परिवार में बटवारा हुआ तो सबसे पहले लोग अपना निवास ही बेचने लगते है। कुछ समय के बाद अपने बनाये हुए भवन में आप अकेले ही रह जाते है ।  इन सबका एक प्रमुख कारण वास्तु के नियमो की पूर्णतया अवहेलना करना है ।


 ध्यान दीजिये यदि हमारा भवन वास्तु के अनुरूप है तो वहाँ पर ना केवल परस्पर प्रेम, हर्ष, उल्लास और निरोगिता ही रहेगी वरन वहाँ के निवासीयों के  विद्धवान, संसकारी होने की भी बहुत सम्भावना बड़ जाती है।  उन्हें जीवन में धन यश और सफलता की भी आसानी से प्राप्ति हो जाती है ।

यह ब्रह्माण्ड और हम सभी मनुष्य पंच तत्व से बने है। इन पंच तत्वों जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश का इस पूरी सृष्टि, समस्त जीवों पर गहन प्रभाव है।  अगर इनका संतुलन बिगड़ा रहता है तो जीवन में सदैव परेशानियाँ बनी ही रहती है । लेकिन वास्तु द्वारा इन्ही पंच तत्वों जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश के बीच की परस्पर क्रिया को ध्यान में रखकर इस प्रकृति के साथ संतुलन बनाते हुए निश्चय ही श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त किये जा सकते है । 


वास्तु विज्ञानं भारत का अत्यंत प्राचीन ज्ञान है जिसकी हमारे ऋषि मुनियों ने अपने अथक प्रयास से मानव जीवन को सुगम बनाने के लिए रचना की है।


वास्तु 'वस' शब्द से बना है जिसका अर्थ है वास करना । वास्तु का संस्कृत में अर्थ है मनुष्य एवं देवताओं का निवास स्थान ।  
वास्तु केवल भवन निर्माण कला ही नहीं है वरन वास्तु में सम्पूर्ण देश, राज्य, नगर, भवन, हमारे बैठने ,सोने, खाना बनाने, भण्डारण,  पूजा स्थल, स्नानघर आदि एवं निर्माण कार्यों में प्रयुक्त सभी सामग्रियाँ आती है ।
इस बात के प्रत्यक्ष प्रमाण है कि वास्तु के सिद्धांतों का पालन करके बनाये गए निर्माणों में धन यश एवं मनवांछित सफलता की अल्प प्रयासों से ही प्राप्ति हो जाती है । 


भारतीय शास्त्रों में प्रत्येक छोटे बड़े स्थान के देवता के रूप में वास्तुपुरुष को मान्यता दी गयी है । किसी भी भवन के निर्माण के समय वास्तु पुरुष की पूजा अनिवार्य मानी जाती है जिससे भवन के निवासियों को जीवन में सभी तरह के सुखों के साथ साथ धर्म, अर्थ,काम और मोक्ष की प्राप्ति हो।
प्रत्येक भवन में वास्तुपुरुष का अस्तित्वं माना जाता है । वास्तुपुरुष भवन में अपने हाथ पैरों को एक विशेष स्तिथि में मोड़कर उलटे लेते रहते है । भवन में वास्तु पुरुष का सर ईशान कोण एवं उनके पैर नैत्रत्य कोण में माने जाते है।




वास्तु दोष :- अगर आपके भवन में रहने वाले लोग बार बार बीमार पड़ते है, उस भवन में रहने वालो के बीच आये दिन कलह रहती है, पर्याप्त मेहनत के बावजूद भी धन की कमी रहती है, अनावश्यक खर्चो का सामना करना पड़ता है, बनते हुए कार्यों में अड़चने आ जाती है, संतान मनमाना कार्य करती है,  भवन में रहने वाले तनाव में रहते है, भवन में भय लगना है, रात में बुरे बुरे सपने आते है, भवन के आसपास ऊळ्ळू या चिमगादड़ नज़र आते है तो आपके भवन में वास्तु दोष हो सकता है इसका तुरंत उपाय करें अन्यथा शायद जीवन भर पछताने के सिवाय कुछ भी हाथ ना लगे । 

यहाँ पर हमने अलग अलग विषयों पर सम्पूर्ण भवन, दुकान, कार्यालय आदि के वास्तु टिप्स / उपाय और बिना तोड़ फोड़ के वास्तु दोष निवारण के उपाय बताये है हमें आशा है की इन जानकारियों से आप अपने भवन, कार्य स्थल को वास्तु अनुरूप बना कर निश्चय ही श्रेष्ठ जीवन यापन कर सकेंगे ।


 यहाँ हम  इस साइट पर हम वास्तु के कुछ बहुत ही आसान नियमों को बता रहे है जिनका पालन करके सभी मनुष्य अल्प प्रयासों से ही अपने जीवन के स्तर को अपनी क्षमताओं के अनुसार और भी ऊँचा उठा सकते है ।

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