ध्यान की मदिरा (Dhyan ki Mandira Bhajan in hindi Mp3)
ध्यान की मदिरा हमें ओशो ने पिलाई है।
क्या अजब मस्ती मेरी जिंदगी पे छाई है।।
शोर गुल मन के हुए शांत, अनाहत गूंजा।
श्याम ने बांसुरी की मीठी धुन सुनाई है।।
कभी दुनिया से प्यार पाने को तरसते थे।
हुई अब भीतरी सियाराम की सगाई है।।
शब्द मुर्शिद के समझ आए, जब नि शब्द हुए।
मौन इशारों से कलाजी ने की सिखाई है।।
दे हमं दिरबनी और काम हो गए पूजा।
शून्य होते ही उतर आई यह समाधि है।।
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