कृष्ण जन्म का बधाई गीत

tin lok ke swami shri hari pragtyo ban yadurai तीन लोक के स्वामी “श्री हरि” प्रगट्यो बन यदुराई


तीन लोक के स्वामी “श्री हरि” प्रगट्यो बन यदुराई

नन्द गाँव में जसुदा नाई जायो कृष्ण कन्हाई

ब्रज में बजत बधाई , अरे माई मैं सुनि के आई

नन्द दुआरे नौबत बाजे और बजे शहनाई

रत्न जडित चन्दन पलने पर , सोहे किशन कन्हाई

भर भर थाल मोगरा बेला ,माँलिनिया ले आई

बन्दनवार बना फूलन से ,ड्योढी दई सजाई

नंदगांव गमका सुगंध से , प्रमुदित लोग लुगाई ! अरे माई ——–

उबटन काजर तेल महावर , नाउनिया ले आई ! अरे माई ——–

नंद लुटावें कनक धान गुड़ रबडी खीर मलाई ! अरे माई———-

लूट लूट खाएं सब पुरजन जय जयकार लगाई !- अरे माई —————

छाई घोर अमषि ,आओ हरी आओ ,हरी आओ न
सारी धरती है प्यासी ,आओ हरी आओ ,हरी आओ न
धरती को घर बनाने , दुःख सरे दूर भागने
अंधियारे सरे मिटने , सूरज सा जगमगाने आएगा
झूमो रे नाचो रे , सब मिल गो रे
प्रीती की धुन लेके हरी आएंगे
मानव का रूप लेके हरी आएंगे
आएगा कोई आएगा , सबपे छ जायेगा
डेग माग से नैया को पर लगाने वो
आएगा कोई आएगा , मन में छा जायेगा
रोती सी धरती को खिल खिल हँसाने वो

पर्वत सागर मट्टी बदल , सब में उसका वास है
कोयल गए झींगुर बोले , उसकी ही आवाज़ है
हो उसका दरस दिखे हर एक आत्मा की प्यास है
आना हरी आना अब तो तुझसे सारी आस है
अब रे भय देखो , गालिया भय देखो
तीनो लोको के वासी सवागत को ए
आएगा कोई आएगा , सबपे छ जायेगा
डेग माग से नैया को पर लगाने वो
आएगा कोई आएगा , मन में छा जायेगा
रोती सी धरती को खिल खिल हँसाने वो

भटका भुला , भुला मनवा जब भी अपनी रह तो
लगा लगा वसुंधा को दुखो का शाप तो
हो बड़ा चला बड़ा जब धरती पे पाप तो
आया हरी आया करने पाप का विनाश हो
कभी तो रह पवन , नाम बनवाया हो
इन पलकों में साडी सृष्टि है बाटी
आएगा कोई आएगा , सबपे छ जायेगा
डेग माग से नैया को पर लगाने वो
आएगा कोई आएगा , मन में छा जायेगा
रोती सी धरती को खिल खिल हँसाने वो

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