श्याम मिलण के काज सखी मेरे आरति उर में जागी री/syam milan ke kaj skhi mere aarti ur me jaagi ri
श्याम मिलण के काज सखी मेरे आरति उर में जागी री।
तड़पत-तड़पत कल न परत है बिरहबाण उर लागी री।
निसदिन पंथ निहारूं पिवको पलक न पल भर लागी री।
पीव-पीव मैं रटूं रात-दिन दूजी सुध-बुध भागी री।
बिरह भुजंग मेरो डस्यो कलेजो लहर हलाहल जागी री।
री आरति मेटि गोसाईं आय मिलौ मोहि सागी री।
मीरा ब्याकुल अति उकलाणी पिया की उमंग अति लागी री।
0 Comments