दाता राम दिये ही जाता

दाता राम दिये ही जाता (Daata ram diye hi jata bhajan in hindi mp3)


दाता राम दिये ही जाता ।

भिक्षुक मन पर नहीं अघाता।

देने की सीमा नहीं उनकी।

बुझती नहीं प्यास इस मन की ।

उतनी ही बढ़ती है तृष्णा।

जितना अमृत राम पिलाता।

दाता राम …

कहो उऋण कैसे हो पाऊँ।

किस मुद्रा में मोल चुकाऊँ।

केवल तेरी महिमा गाऊँ।

और मुझे कुछ भी ना आता।

दाता राम …

जब जब तेरी महिमा गाता ।

जाने क्या मुझको हो जाता ।

रुंधता कण्ठ नयन भर आते ।

बरबस मैं गुम सुम हो जाता।

दाता राम …

दाता राम दिये ही जाता ॥

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