थे म्हारे घरे

थे म्हारे घरे आवो लाल जी माखन मिश्री खावाने |

थे म्हारे घरे आवो कृष्ण जी दूध दही दध खावाने ,

थे आइजो ग्वाल बाल , कोई संग मत लाइजो इतरो

नहीं है लुटवाने , एक जावनी छोने राखी म्हारे छोगले रे

खावा ने , थे म्हारे घरे आवोनी

लाल जी माखन मिश्री खावाने |

मै जाऊ जल जमना भरवा थे आइजो हरी नावा ने

हित चित री दोय बांता करस्या

मत केई जो थोरी जननी ने ,

थे मारे घरे आओ बाल जी माखन मिश्री खावा ने ||1||

ऊँची मंदी पलंग झरोखा हूँ छु सेज बिचवा ने ,

थोरी फूलन री सेज बिचवा ने , मीरा के प्रभु गिरधर नागर

रंग भर रास रचावा ने , थे म्हारे घरे आवोनी लाल जी

माखन मिसरी खावा ने

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