हे गोविन्द हे गोपाल , अब तो जीवर हारे
हे गोविन्द राखो शरण , अब तो जीवन हारे “टेर ”
नीर पीवन हेतु गयो सिन्धु के किनारे
सिन्धु बीच वसत ग्राह , चरण गई पछारे ||1|| है गोविन्द
चार पहर युद्ध भयो लई गयो मझधारे
नाक कान डूबन लागे , कृष्ण को पुकारे ||2|| है गोविन्द ………..
द्वारिका में शब्द गयो , शोर भयो भारे
शंख चक्र गदा पदम् गरुड़ लई सिधारे ||3|| है गोविन्द …..
सुर कहे श्याम सुनो शरण हो तिहारे
अबकी बार पार करो , मंद के दुलारे ||4||है गोविन्द ………
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