बंसीवारा आज्यो म्हारे देस

बंसीवारा आज्यो म्हारे देस/बंसीवारा-आज्यो-म्हारे-दे


बंसीवारा आज्यो म्हारे देस। सांवरी सुरत वारी बेस॥

आऊं-आऊं कर गया जी कर गया कौल अनेक।

गिणता-गिणता घस ग म्हारी आंगलिया री रेख॥

मैं बैरागिण आदिकी जी थांरे म्हारे कदको सनेस।

बिन पाणी बिन साबुण जी होय ग धोय सफेद॥

जोगण होय जंगल सब हेरूं छोड़ा ना कुछ सैस।

तेरी सुरत के कारणे जी म्हे धर लिया भगवां भेस॥

मोर-मुकुट पीताम्बर सोहै घूंघरवाला केस।

मीरा के प्रभु गिरधर मिलियां दूनो बढ़ै सनेस॥

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