आनंद ही आनंद बरस रहा | Anand hi Anand Baras rha bhajan in hindi Mp3

आनंद ही आनंद बरस रहा (Anand hi Anand Baras rha bhajan in hindi Mp3) 


आनंदहीआनंदबरसरहाबलिहारीऐसेसदगुरुकी।

धन-धन्यहमारेभागहुए, गुरुकेचरणोंकीखाकहुए;

ओशो में दरस हुए प्रभु के; बलिहारी ऐसे सदगुरु की।

क्या अनुपम रूप निराला है, साकी है या मधुशाला है;

भ्रम भव सागर से पार किया, बलि हारी ऐसे सदगुरु की।

क्या ध्यान की धारा बहा दिया, क्या प्रेम की बगिया लगा दिया;

खिल रहा खूब ओशो-उपवन, बलिहारी ऐसे सदगुरु की।

ओशो की यह अमृत धारा, क्या खूब बही ओशो धारा;

शब्दों में शून्य परोस दिया, बलिहारी ऐसे सद गुरु की।

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